वो प्यारे दिन

कितने प्यारे थे वो दिन जब
साथ-साथ हम रहते थे
होली और दीवाली के रंगों में
साथ-साथ हम घुलते थे।
कितने प्यारे थे वो दिन जब..

दुःख की तो औकात नहीं थी
मायूस हमें जो कर जाए
मन होता तो रो लेते थे
पर बेमन भी हम हँसते थे।
कितने प्यारे थे वो दिन जब..

मालूम न होता कब रूठ जाएँगे
पल-पल ही हम लड़ते थे
पर दोस्ती के पाक रिश्ते को
दिल में जिंदा रखते थे।
कितने प्यारे थे वो दिन जब..

कुछ यार हमारे ऐसे भी थे
जो हम पे जान छिड़कते थे
कुछ तो मानों खरबूज़े थे
वो पल-पल रंग बदलते थे।
कितने प्यारे थे वो दिन जब..

सोचा न था यूँ खो जाएँगे
संसार-नुमा इस मेले में
माना कि अनजान थे हम-तुम
पर अपने-अपने लगते थे।
कितने प्यारे थे वो दिन जब..

सब यादें धुँधली हो जाती हैं
सब मिलते ओर बिछड़ते हैं
दिल में होते तो शायद भूल भी जाता
तुम तो साँसों में बसते थे।
कितने प्यारे थे वो दिन जब..

दिल चाहता है फिर मिल जाएँ
जो यार हमारे अपने थे
आज वो सपनों में दिखते हैं
जो साथ हमारे चलते थे।
कितने प्यारे थे वो दिन जब
साथ-साथ हम रहते थे।

- रिज़वान रिज़

Dedicated to all my dear friends
specially 
(Geography Batch 2016-19 of BRAC,DU)

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Thankyou...
-Rizwan Riz

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