इन आँखों से आँसू भी बहाया करो

इन आँखों से आँसू भी बहाया करो
दर्द क्या होता है समझ जाया करो।

मैं अब बस तुम्हारी चाहत में बँधा हूँ
मेरे सामने तुम ज़रा खुल जाया करो।

मैं तुम्हें बहुत अंदर से जान चुका हूँ
मुझे तुम अब कुछ मत बताया करो।

ये दिन दिनभर उसकी याद दिलाते हैं
ऐं रातों अब तुम तो मत सताया करो।

हम तुम्हारे चेहरे के क़ायल नहीं होंगे
झूठ बोलते हुए थोड़ा शरमाया करो।

जो नहीं समझते हैं ख़ामोशी ज़रा भी
ऐसे लोगो से दिल, मत लगाया करो।

दुनिया का क्या है ये ग़म ही देती है
ग़मों को भूलके तुम मुस्कुराया करो।

मुहब्बत फिर मुहब्बत-सी नहीं लगती
किसी को ज्यादा गले मत लगाया करो।

तुम्हारे ज़ख्म भी ख़ुद ही भरने लगेंगे
किसी के ज़ख्म पे मरहम लगाया करो।

कौन आता है अब मिलने तुम्हें 'रिज़वाँ'
किसी के लिए रस्ते मत सजाया करो।

- रिज़वान रिज़

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