नफरतों के दौर में मुहब्बत का रहना मुश्क़िल है
नफरतों के दौर में मुहब्बत का रहना मुश्क़िल है।
झूठ चीखना आसाँ है, सच कह देना मुश्क़िल है।
तेरी-मेरी ये प्रेम-कहानी अब कहाँ टिक पाएगी।
प्रेम बदलना आसाँ है, धरम बदलना मुश्क़िल है।
ग़म मनाने का तरीका इस तरह से बदल चुका है।
रो देना ही काफ़ी है अब, आँसू लाना मुश्क़िल है।
सच्चाई और कलाकारी में बस इतना-सा फ़र्क है।
बात बताना आसाँ है, ज़ज्बात बताना मुश्क़िल है।
तुम मेरे प्यारे सपनों की प्यारी-सी शहज़ादी हो।
तुमको चाहना आसाँ है, तुमको पाना मुश्क़िल है।
कभी-कभी तन्हाई में जब याद किसी की आती है।
तन्हा हो करके भी ख़ुद को तन्हा पाना मुश्क़िल है।
इश्क़ के दरिया में तुम 'रिज़वाँ' इस तरह डूबे हो।
डूब ही जाना बेहतर है, पार पे आना मुश्क़िल है।
- रिज़वान रिज़
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Thankyou...
-Rizwan Riz