पहला स्पर्श
कितना नया और अनोखा
था, बिल्कुल
था, बिल्कुल
बारिश की बूँदों-सा पवित्र
तुम्हारे और मेरे हाथों का
पहला स्पर्श।
तुम्हारे और मेरे हाथों का
पहला स्पर्श।
जैसे ओंस की दो बूँदें
सरकती हुई आ मिलती हैं
इक-दूजे से, किसी पत्ते पर
और जैसे मिल ही जाती हैं
सागर में दो लहरें
आपस में, होकर बैचैन।
सरकती हुई आ मिलती हैं
इक-दूजे से, किसी पत्ते पर
और जैसे मिल ही जाती हैं
सागर में दो लहरें
आपस में, होकर बैचैन।
सचमुच बिल्कुल ऐसा था
तुम्हारे और मेरे हाथों का
वो पहला स्पर्श।
तुम्हारे और मेरे हाथों का
वो पहला स्पर्श।
-रिज़वान रिज़
Comments
Post a Comment
Thankyou...
-Rizwan Riz