लोग दीवाने बन जाते हैं

आँखों से आँखें मिलती हैं
अफ़साने बन जाते हैं
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..
लोग दीवाने बन जाते हैं।

पीत-ज्वर-सा चढ़ जाता है
प्रेम ये हमको कभी-कभी
उसकी आँखें नीली लगती हैं
हम पीले पड़ जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..

लगता है कह देंगें सबकुछ
दिल में अरमाँ जो भी हैं
जब वो सामने आ जाती है
हम शर्मीले बन जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..

वो सबसे सुंदर लगती है
जो मेरे दिल मे बसती है
उसकी बातें सिर-आँखों पर
गुलाम हम उनके बन जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..

बेमौसम बरसात होती है
जब वो मेरे साथ होती है
मौसम भी उम्दा होता है
काँटें फूल-से बन जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..

उसका चेहरा ताजमहल-सा
आँखें सचमुच झील-सी हैं
मैं उसका रांझा लगता हूँ
वो भी मेरी हीर-सी है
मैं बस उसकी तारीफें लिखता हूँ
मेरे लफ्ज़ तराने बन जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..

प्यार में सबकुछ अच्छा लगता है
झूठा भी सच्चा लगता है
दिल उसकी ही ज़िद करता है
कभी-कभी तो बच्चा लगता है
हम भी बच्चे बन जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..

कभी-कभी तो ऐसा होता है
दिलबर मेरे दिल में सोता है
रातें हसीन हो जाती हैं
सपने भी सुहाने बन जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..

प्यार करना आसान नहीं है
ये बच्चों का काम नहीं हैं
प्यार में दिल को तड़पना होता है
सच्चा प्यार कब अपना होता है?
जब प्यार के सुनते हैं किस्से
ग़म आते हैं दीवानों के हिस्से
वो शम्मा के जैसे जलती है
हम भी परवाने बन जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..

पहले-पहले अच्छा लगता है
मिलना-जुलना, बातें करना
जब मुलाक़ातें बढ़ जाती हैं
लोग सयाने बन जाते हैं।
ज़रा-ज़रा-सी बातों में..
लोग दीवाने बन जाते हैं।

-रिज़वान रिज़

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