इस तरह इंसानियत की हार नहीं होती।
इस तरह इंसानियत की हार नहीं होती
अच्छा होता मुल्क़ में सरकार नहीं होती।
मेरा दुश्मन कभी मुझको जाँ से प्यारा था
जंग से पहले, वरना मेरी हार नहीं होती।
वो घर अक्सर मुहब्बत की गवाही देते हैं
जहां आँगन के बीच में दीवार नहीं होती।
ज़रूर कोई ख़बरी है हमारे बीच में वरना
ज़रा-ज़रा-सी बातें यूँ अख़बार नहीं होतीं।
हम शायर हैं, सिर्फ़ कलम से वास्ता हमको
शायरों के हाथ में कभी तलवार नहीं होती।
आसाँ मत समझो सफ़र-ए-ज़िंदगी 'रिज़वाँ'
कोई राह मुसाफ़िर की वफ़ादार नहीं होती।
-रिज़वान रिज़
***Poetry contains writer's views not targets any political party.
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Thankyou...
-Rizwan Riz