रुक जाना मत

राहें बहुत कठिन मिलेंगी
देख उन्हें घबराना मत।

मंज़िल को पाने से पहले
देखो तुम रुक जाना मत।

अपना सपना ज़िंदा रखना
सपने से ध्यान हटाना मत।

वक़्त का कोई विकल्प नहीं
इसको व्यर्थ गँवाना मत।

पहले तुम मेहनत कर लेना
किस्मत को अजमाना मत।

जीवन में दुःख के पर्वत होंगे
अपना शीश झुकाना मत।

नदियाँ बहतीं झूठ की यहाँ
इनमें डूब के जाना मत।

दुनिया तुमपे हँसेगी पक्का
इसकी हँसी से शर्माना मत।

बहुत मिलेंगे भटकाने वाले
उनकी बातों में आना मत।

तुमसे तुम्हारा ध्यान हटाएँ
ऐसे लोगों में जाना मत।

अपने मन की भी सुन लेना
औरों की राय में आना मत।

तुम सबकुछ कर सकते हो।
किसी से आस लगाना मत।

जब तुम मंज़िल को पा लो
रस्तों को भूल जाना मत।

मेरी कविता एक सबक़ है
इसको भूल जाना मत।

-रिज़वान रिज़


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