चलो कुछ इस तरह से गुज़ारा करते हैं..

चलो कुछ इस तरह से  गुज़ारा करते हैं।
तुम नफ़े में रहो हम ही ख़सारा करते हैं।

मेरे कुछ और करीब आ जाओ ऐं सनम।
आज करीब से चाँद का नज़ारा करते हैं।

वो जब रुख़ अपना मेरे ज़ानु पे रखते हैं।
हम उनकी बिखरी ज़ुल्फें सँवारा करते हैं।

इक पल भी नहीं रह पाता मैं बग़ैर उसके
लोग जाने कैसे पूरी उम्र गुज़ारा करते हैं।

यकीनन वो सिम्त हमारी ही हो जाती है।
जिस तरफ़ हम ज़रा-सा इशारा करते हैं।

झुक जाए जो सिर किसी शैतान के आगे
ऐसी ज़िंदगी से हम मरना गवारा करते हैं।

सचमुच इतनी कड़वी है  ज़ुबाने 'रिज़वाँ'
कई चमचे इसके आगे किनारा  करते हैं।

-रिज़वान रिज़

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