बारिश
जब कभी बारिश आती है
वो दीवार टूट जाती है
अक्सर माँ जिसे
बारिश के बाद बनाती है।
कोई बरतन रख देता है
जहाँ पानी टप-टप-टप
गिरता है
कोई चारपाई उठाता है
जो बिछी हुई थी आँगन में और
किसी के द्वारा उठा लिए जाते हैं
वो कपड़े, जो सूख रहे
हल्की-हल्की धूप में।
सचमुच ये बारिश हमें
तंग-सा कर जाती है
गुस्सा तो जायज़ है फिर भी
इक हँसी-सी आ जाती है
सबके चेहरों पर
मगर ये बारिश बहुत ही प्यारी है
जो मेरा घर जोड़ जाती है।
- रिज़वान रिज़
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Thankyou...
-Rizwan Riz