नींद

हम अक्सर खो देते हैं
हर रोज़ हर रात अपने ही
वजूद को।

हम खो देते हैं सच को।
और खो जाते हैं
उन झूठे सपनों में..
जिनका नहीं होता
ख़ुद का ही वजूद।

हम खो देते हैं अक्सर
अपने तन-मन और ध्यान को
हर बार सोने के बाद।
इसमें कुछ भी झूठ नहीं है
सचमुच अल्पकालिक मौत-सी
होती है नींद।

-रिज़वान रिज़

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