तुम लौट आओगे
उम्र के किसी भी दौर में, ज़िंदगी के किसी पड़ाव पर। उम्मीदों का ये सिला मिलेगा यक़ीनन एक पल ऐसा मिलेगा। हर एक सदा तुमको मेरी लगेगी। हर शख़्स में मेरी सूरत दिखेगी। कहीं भी तुम्हारा दिल न लगेगा। कोई भी तुमको अपना न लगेगा। मेरी वफ़ा याद आएगी तुमको। थोड़ा-बहुत फिर रुलायेगी तुमको। यक़ीन ये तुमको भी होने लगेगा। दिल ये तुम्हारा फिर कहने लगेगा। चलो वापसी का वक़्त हो गया है। वापस मुझे मेरा घर मिल गया है। तुम हाथों से मलते हुए अपने आँसू मन ही मन बेहद मुस्कुराओगे। झूठी कोशिशों से रोकोगे ख़ुदको मगर कदमों को रोक नहीं पाओगे। मुझे यक़ीन है एक दिन.. तुम लौट आओगे। - रिज़वान रिज़